सोनल जैन जो वर्तमान में कोटा में बड़ौदा राजस्थान क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक की तलवंडी शाखा में असिस्टेंट मैनेजर के पद पर कार्यरत है।खुद पर निर्भर है। संघर्ष एक-दो वर्ष का नहीं, करीब दो दशक का है।
बात सात बरस के बचपन से होती है जब सोनल खेलते-कूदते समय अचानक 11 केवी की हाइटेंशन लाइन की चपेट में आ गई। करंट का झटका इतना जोरदार था कि शरीर जल गया। एक हाथ पूरा खराब हो गया और दूसरे का भी पंजा जल गया। अस्पताल दौड़े, इलाज करवाया, जैसे-तैसे एक हाथ का पंजा जोड़ा जा सका, दूसरा हाथ नहीं है। डॉक्टरों ने मेहनत कर जान तो बचा ली। इसके बाद भी चुनौतियां कम नहीं हुई। सोनल को पूरी तरह से ठीक होने में 12 साल लगे।
लगातार उपचार चला। आमतौर पर हादसा और इतना बड़ा इंतजार सब्र तोड़ देता है, जीने की आस छूट जाती है लेकिन यहां सब उलट हुआ। सोनल ने कुछ नहीं छोड़ा, न जीने की आस और ना ही आगे बढऩे की ललक। पढऩे का सिलसिला शुरू किया। प्रारंभिक पढ़ाई सागर में करने के बाद ग्रेजुएशन इंदौर से की। इसके बाद एमबीए भी की। इसके बाद प्रतियोगी परीक्षाएं देना शुरू कर दिया। मेहनत का परिणाम यह रहा कि गत वर्ष बैंक सेवा में चयन हो गया और बांसवाड़ा पोस्टिंग मिली। इस वर्ष जुलाई में तबादला कोटा हुआ।
ऐसे करती हैं काम
सोनल बैंक में कम्प्यूटर पर दूसरों कार्मिकों की रफ्तार से ही काम कर लेती है। इसके लिए एक हाथ में कम्प्यूटर का माउस रहता है और मुंह में पेन। मुंह से कीबोर्ड के बटन दबते हैं और हाथ से माउस चलता है। हाथ में ऑपरेशन होने के कारण लम्बे समय तक लगातार कार्य नहीं होता लेकिन धीरे-धीरे अब ऐसी आदत हो गई कि दूसरे कार्मिकों की भांति आउटपुट दे देती हैं।
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